कोरोनाकाल में दो आशा कार्यकर्ताओं के काम से WHO कायल, दोनों को मिलेगा सम्मान   

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Akash Mishra
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कोरोनाकाल में दो आशा कार्यकर्ताओं के काम से WHO कायल, दोनों को मिलेगा सम्मान   

Bhopal. प्रदेश की दो आशा कार्यकर्ताओं को वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) सम्मानित करेगा। इन आशा कार्यकर्ताओं के अपने काम के प्रित समर्पण और उनके आईडिये से WHO बेहद इंप्रेस है। ये पुरस्कार वैश्विक स्वास्थ्य को आगे बढ़ाने, क्षेत्रीय स्वास्थ्य मुद्दों के लिए नेतृत्व और प्रतिबद्धता का प्रदर्शन करने के लिए दिए जा रहे हैं। केंद्र सरकार की ओर से इसकी लिस्ट भी जारी कर दी। जिसकी घोषणा गुरुवार को प्रदेश की प्रेस इनफॉरमेशन ब्यूरो (PIB) ने की। इन दोनों आशा कार्यकर्ताओं में से एक भोपाल की है। जबकि दूसरी कार्यकर्ता बड़वानी की है। दोनों ही आशा कार्यकर्ताओं ने संघर्ष करते हुए अपने काम को अंजाम तक पहुंचाया है। इससे WHO के अधिकारी बेहद खुश है। ऐसे में WHO ने इन आशा कार्यकर्ताओं को पुरुस्कृत करने का फैसला किया है



दिव्यांग होने के बाद भी समर्पण अद्भुद



बड़वानी की रहने वाली भगवती यादव का एक हाथ बचपन से नहीं है। इस दिव्यांगता के चलते पति बहुत पहले से उसे छोड़ गया। वह एक ही हाथ से अपने काम को अंजाम देती है। भगवती का कहना है कि, पति के जाने के बाद वह अपने बेटे के साथ मायके में रहने लगी। मां-बाप पर बोझ न बनू, इसके लिए अलग-अलग तरह के काम किए। साल 2006 में आशा कार्यकर्ता के रुप में मेरी नियुक्ति हुई। तब से लेकर अब तक वह अपना काम पूरी इमानदारी के साथ कर रहीं हैं। गांव में किसी भी महिला की डिलेवरी होने पर भगवती को ही याद किया जाता है। बच्चे के टीके से अन्य तरह के ट्रीटमेंट का वह खुद ध्यान रखती है। एक हाथ न होने से इसको भगवती ने अपनी कमजोरी नहीं बनाया। 



खुद बनाती है अपने नारे



राजधानी भोपाल के नलखेड़ा इलाके में रहने वाली आशा कार्यकर्ता अर्चना कुशवाह बैरसिया ब्लॉक में पदस्थ हैं। अर्चना ने कोरोना संकट के दौरान अपनी जिम्मेदारी पूरी ईमानदारी से निभाई। इस दौरान लोगों को कोरोना से बचाने के लिए नारे भी खुद ही गढ़े। इसके बाद गांव की दीवार पर उन्हें लिखा भी। वैक्सीनेशन शुरू हुआ तो गांव के बुजुर्ग टीका लगवाने को तैयार नहीं हो रहे थे। ऐसे में अर्चना ने दिवाली के पहले गांव में 60 साल से अधिक उम्र की बुजुर्ग महिलाओं को एक-एक साड़ी और 10-10 दीपक उपहार में दिए। साथ ही वैक्सीनेशन का महत्व बताते हुए उसे लगवाने की अपील भी की। जिससे गांव के लोग टीका लगवाने के लिए तैयार हुए। अर्चना के काम की तारीफ कलेक्टर से लेकर केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अफसर कर चुके हैं।

 


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